चलो यहां से चलें
चलो यहां से चलें
नज़र-नवाज़ नज़ारा बदल न जाए कहींजरा-सी बात है मुँह से निकल न जाए कहीं
वो देखते है तो लगता है नींव हिलती हैमेरे बयान को बंदिश निगल न जाए कहीं
यों मुझको ख़ुद पे बहुत ऐतबार है लेकिनये बर्फ आंच के आगे पिघल न जाए कहीं
चले हवा तो किवाड़ों को बंद कर लेनाये गरम राख़ शरारों में ढल न जाए कहीं
तमाम रात तेरे मैकदे में मय पी हैतमाम उम्र नशे में निकल न जाए कहीं
कभी मचान पे चढ़ने की आरज़ू उभरीकभी ये डर कि ये सीढ़ी फिसल न जाए कहीं
ये लोग होमो-हवन में यकीन रखते हैचलो यहां से चलें, हाथ जल न जाए कहीं
************By Satendra Tiwari*****--------------------------------------------------------
Let's go from here
No one can change the scene
It is a matter of nowhere
If they see, the foundation feels shaken
Do not swallow my statement
I like myself very much but
This snow should not melt before the heat
Let the wind close the doors
May this hot ashes not get absorbed in the bodies
There is Muay P in all the nights in your night
May all ages never get drunk
Ever started to climb on the scaffold
Never fear that this ladder will slip
These people believe in homo-havan
Let's go from here, hands don't burn anywhere
------By satendra tiwari-----
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